What is Background in Operating System ?
आधुनिक computer के लिए memory management बहुत ही जरूरी होता है। जब program को memory execution के लिए रखा जाता है तो इसे background process कहते हैं।
Operating system सभी process को एक साथ रखकर उसे एक कतार (queue) में process के लिए भेजता है। जिससे कि process को चुनकर process आरंभ की जाती है और उस जगह (case memory) को खाली कर दिया जाता है।
जिस स्थान से आरंभ किया जाता है उसे address space कहते हैं जो 0000 होता है और इसमें नियम यह होता है कि यदि पहले जिस address का उपयोग हो गया है उसे दुबारा उपयोग में नहीं लाना चाहिए। यदि computer में memory की समस्या है तो सीधे उसका प्रभाव उसके कार्य करने की गति पर पड़ता है।
Computer में दिये गये प्रत्येक निर्देश उसके memory से ही होकर जाते हैं और यदि हम वर्तमान में प्रयोग किये जा रहे operating system की बात करें जैसे: Window, Linux, MAC-OS इत्यादि तो यह multitasking operating system होते हैं इसलिए CPU एक साथ अनेक programs को एक के बाद एक process के लिए अपने पास रखता है जिससे background पर memory में लगातार programs की swapping चलती रहती है।
Computer में memory को अनेक नाम से जाना जाता है जिन्हें दो प्रकार internal memory और external memory में विभाजित किया जाता है और इन दोनों के भी अनेक प्रकार होते हैं जिन्हें अलग-अलग नाम दिया गया है।
इसी प्रकार cash memory होता है जिसे CPU memory कहा जाता है जो processor के साथ होने के कारण बहुत ही तीव्र गति से कार्य करता है। RAM जो Random Access Memory का short form है यह computer की आंतरिक एवं मुख्य memory होता है जिसमें data, machine code में संग्रहित होता है, इसलिए इसके data को computer बहुत तेजी से पढ़ सकता है।
CPU के memory को किस प्रकार से उपयोग करता है इसे निम्न चित्र में समझ सकते हैं:
CPU का कार्य प्राप्त input को process करना होता है यह input के लिए main memory पर निर्भर रहता है इसलिए सभी data जिन्हें process करना है उन्हें main memory या registers में स्थानांतरित किया जाता है।
Hard Disk में संग्रहित data को यदि process के लिए भेजना होता है तो भी उसे पहले main memory (RAM) से cash memory में भेजा जाता है अर्थात् hard disk के data को CPU सीधे process के लिए नहीं ले सकता।
Logical versus Physical Address space:
Memory unit पर जो address होता है उसे physical address कहते हैं। Logical address CPU के द्वारा generated किया जाता है और जो address memory unit का होता है जिसमें एक memory address register को संग्रहित कर कते हैं उसे भौतिक address के नाम से जानते हैं।
किसी program के द्वारा उत्पन्न सभी logical address के संग्रह को logical address space के नाम से जानते हैं और इन्हीं logical address से संबंधित physical address के संग्रह को physical address space के नाम से जानते हैं।
नीचे दिये चित्र को देखें:
उपयोगकर्ता memory में data को रखने या उसे प्राप्त करने के लिए जो program बनाता है उसके द्वारा वह logical address को ही प्राप्त कर सकता है वह उसी के आधार पर physical address से data प्राप्त करता है।
Logical address जो निर्धारित होता है उसकी सीमा 0 से आरंभ होकर अधिकतम सीमा (0 to max) तक होती है जबकि physical address की सीमा R(R=Value of Relocation Register) से R+अधिकतम सीमा (R to R+max) तक होती है।
उपयोगकर्ता के द्वारा logical address generate किया जाता है जो 0 से max तक होती है और उसी logical address को physical address के रूप में उपयोग करने से पहले mapping किया जाता है।
Logical address को physical address में मानचित्रण (mapping) करने का कार्य Memory Management Unit (MMU) का होता है।
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