System Boot क्या है (What is System Boot)?
System के सही प्रकार से boot करने के लिए यह आवश्यक है कि उसके सभी hardware device सही प्रकार से कार्य कर रहे हो। System boot एक क्रिया है जिसे प्रत्येक processing unit को सबसे पहले करना होता है।
यदि processing unit में प्रयोग BIOS और hardware सही प्रकार से कार्य कर रहे हैं, तो वह boot हो जाता है और operating system memory में load होना आरंभ हो जाता है।
Booting मूल रूप से Computer को शुरू करने की Process है। जब सीपीयू (CPU) को पहली बार चालू किया जाता है तो इसमें memory के अंदर कुछ भी नहीं होता है। कंप्यूटर start करने के लिए, operating system को main memory में load करें और फिर computer users से कमांड लेने के लिए तैयार है।
जब processing unit के power switch को on किया जाता है तो सबसे पहले mother board CPU को power देता है जिससे वह अन्य hardware को diagnosis (मूल्यांकन) कर सके। इसके पश्चात् वह ROM BIOS को उसके अन्तर्गत संग्रहित 1855 startup program को execute करने का निर्देश देता है। जिससे वह उसके अनुसार booting की प्रक्रिया आरंभ कर सके।
ROM BIOS के अन्तर्गत संग्रहित program सबसे पहले POST (Power On Self Test) का कार्य करते हैं। इसके पश्चात् एक 'boot loader' नामक program execute हो जाता है जिसका कार्य operating system और कुछ इसी प्रकार के अन्य system software को load करना होता है ।
POST का कार्य लगभग 10 सेकेंड में हो जाता है परंतु operating system के load होने के समय अंतराल की गणना system के hardware configuration के आधार पर कर सकते हैं। सामान्यतः यह GUI operating system में लगभग 1 minute का होता है।
Operating system loading (Booting Process):
Computer को on करने पर सबसे पहले उसकी स्थायी memory RAM 3 BIOS (Basic Input Output System) IC के द्वारा सभी device की जांच की जाती है, इस प्रक्रिया को POST (Power on Self Test) कहते हैं। इसके बाद disk पर उपस्थित operating system, RAM ( memory) में स्टोर हो जाता है साथ ही MS-DOS की मुख्य file का क्रियान्वयन हो जाता है
ये फाइलें निम्न हैं:- command.com, IO.sys, ms dos.sys, config.sys, himen.sys etc. अंत में computer की screen पर ms dos prompt दिखाई देता है या windows open हो जाता है। इस प्रकार OS का computer में स्वतः ही memory में संग्रहित हो जाना, " Booting " कहलाता है।
System booting process |
जिस disk में booting commnd.com, IO.sys, ms-dos.sys files store होती है उसे booting disk कहा जाता है।
बूटिंग के प्रकार (Types of Booting) :
Types of booting system |
- Cold Booting
- Warm or Hot Booting
1. Cold Booting:
जैसे की इसके नाम से पता चल रहा है कि कोल्ड booting अर्थात डंडा बूटिंग इसे soft booting के नाम से भी जाना जाता है । जब कंप्यूटर पहली बार शुरू होता है या शट-डाउन स्थिति में होता है और सिस्टम को चालू करने के लिए पावर बटन पर स्विच करता है, तो कंप्यूटर को शुरू करने की इस प्रकार की प्रक्रिया को कोल्ड बूटिंग (cold booting) कहा जाता है।
इसका टाइम warm booting की तुलना में अधिक होता है क्योंकि यह सभी टास्क को फिर से स्टार्ट करता है ।कोल्ड बूटिंग के दौरान, सिस्टम रोम (BIOS) से सभी निर्देशों को पढ़ेगा और ऑपरेटिंग सिस्टम स्वचालित रूप से सिस्टम में लोड हो जाएगा।
2. Warm Booting:
इस booting process को hot booting process के नाम से भी जाना जाता है यह process तब स्टार्ट होती है जब हम कंप्यूटर को ON मोड में restart करते हैं warm booting process बहुत कम समय में कंप्यूटर सिस्टम को on करता है।
वार्म या हॉट बूटिंग प्रक्रिया तब होती है जब कंप्यूटर सिस्टम कोई प्रतिक्रिया या हैंग अवस्था में नहीं आते हैं, और फिर सिस्टम को कंडीशन के दौरान पुनरारंभ करने की अनुमति दी जाती है।
वार्म बूट को सॉफ्ट बूट भी कहा जाता है। यह संदर्भित करता है कि जब हम कंप्यूटर को पुनरारंभ करते हैं। यहां, कंप्यूटर प्रारंभिक अवस्था से शुरू नहीं होता है। जब सिस्टम कभी-कभी अटक जाता hang होता है तो इसे चालू होने पर इसे restart करने की आवश्यकता होती है। इसलिए, इस स्थिति में warm boot होता है। warm boot के लिए restart या CTRL+ALT+DELETE कीबोर्ड बटन का उपयोग किया जाता है।
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Steps of Booting
booting की प्रक्रिया को हम 6 चरणों में बाट सकते हैं -
1. The Startup:
यह पहला चरण है जिसमे कंप्यूटर के सभी device, processor एवं BIOS , Motherboard इत्यादि पर current flow करने का कार्य करता है जब कंप्यूटर शुरू होता है, तो वह इस चरण में होता है। यह चरण एक पावर-ऑन रीसेट है, जो अगले चरणों में जाने से पहले कंप्यूटर के सभी बुनियादी हार्डवेयर घटकों और उनके कॉन्फ़िगरेशन को सत्यापित करता है।
2. BIOS: Power On Self Test:
power on होने के बाद booting process इस चरण पर प्रवेश करता है इस स्टेप में यह check करता है कि Basic Input/Output System (BIOS) के सभी device सही तरीके से कार्य कर रहे हैं या नहीं । यह BIOS द्वारा किया जाने वाला एक प्रारंभिक परीक्षण है।
इसके अलावा, यह परीक्षण input/output device, computer की main memory, disk drive आदि पर एक प्रारंभिक जांच करता है। इसके अलावा, यदि कोई error होती है, तो सिस्टम एक बीप ध्वनि produce करता है।
3. Loading Operating System:
इस चरण में, bootable Operating System को pendrive or CD-ROM की सहायता से main memory में अलग अलग ड्राइव बनाकर लोड किया जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम काम करना शुरू कर देता है और सभी प्रारंभिक files और instructions को execute करता है।
4. System Configuration:
सिस्टम कॉन्फ़िगरेशन computer hardware, प्रक्रियाओं के साथ-साथ विभिन्न devicess को परिभाषित करता है जिसमें संपूर्ण सिस्टम और इसकी सीमाएं शामिल हैं। इस चरण में, ड्राइवरों को मुख्य मेमोरी में लोड किया जाता है। ड्राइवर ऐसे प्रोग्राम होते हैं जो peripheral devices (Keyboard ,Monitor, etc) के कामकाज में मदद करते हैं।
5. Loading System Utilities:
इस स्टेप में booting का कार्य लगभग समाप्त हो जाता है यहाँ system utility जैसे system driver, volume controler, antivirus, graphics इत्यादि को main memory में लोड किया जाता है।
6. User Authentication:
इस स्टेप में boot यह check करता है कि उपयोगकर्ता अपने कंप्यूटर सिस्टम में पासवर्ड set किया है या नहीं यदि पासवर्ड set नहीं किया है तो booting का process complete हो जाता है और कंप्यूटर सिस्टम पूर्ण रूप से on हो जाता है
और अदि उपयोगकर्ता पासवर्ड set किया है तो पासवर्ड की checking किया जाता है यदि पासवर्ड मैच होता है तो सिस्टम को finally स्टार्ट करता है पासवर्ड मैच ण होने पर booting की process वही पर स्टॉप हो जाता है। यह पासवर्ड क्रिएट करते समय memory में स्टोर होता है ।
इस प्रकार booting की process step by step complete होता है ।
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