What is Data And Programs | How Many types Of Data – In Hindi

What is Data And Programs | How Many types Of Data – In Hindi
What is data & program?

What is program and data : हेल्लो दोस्तों पिछले आर्टिकल में हमने Computer का कार्य (Function Of Computer) के बारे में पढ़ा था आज हम लोग प्रोग्राम और डाटा क्या है (what is Program and Data ) के बारे में Details से पढने वाले हैं तो चलिए निचे से स्टार्ट करते है।

    Definition Of Data :

    Data का Full Form Data Accountability and Trust Act. होता है, जिसका अर्थ होता है डाटा जवाबदेही और विश्वास अधिनियम। जब मैंने डाटा का फुलफॉर्म को गूगल में ट्रांसलेशन किया तो मुझे सिर्फ इतना ही बताया इसका वास्तविक अर्थ क्या होता है ,पता नहीं लेकिन हम प्रत्येक वर्ड का अनुमान लगा कर वास्तविकता के निकट पहुँच सकते है :

    1. Data Accountability : इसका अर्थ यह होता है कि जब कोई डाटा हम स्टोर करते है वह कही न कही useable होता है कोई भी डाटा फालतू नहीं होता कही न कही इसका महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व होता है जो हमें प्रोसेस execute के दौरान एक इम्पोर्टेन्ट सुचना प्रदान करता है , इसलिए इसे एकाउंटेबिलिटी के रूप में दर्शाया गया है
    2. Trust Act : अर्थात् विश्वशनीय अधिनियम जो कंप्यूटर तथा यूजर के बिच एक इम्पोर्टेन्ट सुचना प्राप्त हो।

    What is Programs and data (प्रोग्राम और डाटा क्या है ?):

    Computer में जानकारियों को data के रूप में संग्रहित करके रखा जाला है जिसे computer program के द्वारा उपयोग किया जाता है। Computer system एक hardware device होता जिसे उपयोग में लाने के लिए software की आवश्यकता होतीहै। Software दो तत्वों के मेल से बनता है जिन्हें program एवं data कहते हैं।

    डाटा क्या है ?

    डाटा, अपने आस-पास के वातावरण के द्वारा किसी प्रकार का भी कोई जानकारियाँ एकत्रित (store) करते है वह अपने वास्तविक रूप में डाटा ही कहलाता है डाटा किसी प्रकार का हो सकता है जैसे आपका नाम ,एड्रेस ,विचार , मोबाइल नंबर, ईमेल ,किसी वस्तु जंतु का नाम या उसकी हर एक एक्टिविटी जिसे आप इकट्ठा करते है, को डाटा के रूप में माना जा सकता है।

    सरल शब्दों में कहे तो डाटा तथ्यों का एक संग्रह है, जैसे कि संख्या, शब्द, माप, अवलोकन या केवल चीजों का विवरण।

    चलिए इसे एक उदहारण से समझते है : माना आपका नाम राम है और मुझे आपके पास आपके गाँव (जांजगीर ) पहुंचना है, तो यहाँ हमें दो डाटा और एक निर्देश (instruction) मिला जिसे निचे समझते है।

    • डाटा : राम , गाँव (जांजगीर)
    • निर्देश : पहुंचना

    यहाँ हमने पहले नाम का पता लगाया और फिर क्या करना है इसका पता लगाया तब जाकर आपके गाँव आपके पास पहुंचा ठीक इसी प्रकार कंप्यूटर भी हमारे द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार स्टोर किये गए डाटा पर प्रोसेसिंग कर एक जरुरी जानकारी प्राप्त करती है

    यह जानकारी किसी भी प्रकार या तथ्य में हो सकती है जैसे character , numeric, alphanumeric, Sound, Audio, video, image, object आदि ये सभी डाटा ही कहलाता है।

    what are does data mean:

    पूर्व में लोग data को paper पर लिखकर रखते थे computer के आ जाने के पश्चात् उसे computer के disks सुरक्षित करके रखा जाने लगा। paper पर रखे data में अनेक कार जैसे scratching, modification इत्यादि बहुत ही कठिन कार्य होता था। जबकि computer के आ जाने से यह कार्य काफी सरल हैगया है।

    यदि किसी software के instruction एवं data की तुलना करे तो data की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया जाता है इसलिए वर्तमान में प्रसिद्ध programming language जैसे C++, Java Net इत्यादि में data को security प्रदान करने के लिए विशेष Feature public, private एवं protected निर्धारित करने की सुविधा दी गई होती है।

    Types Of Data (डाटा का प्रकार) :

    वैसे तो डाटा के अनेको प्रकार होता है जिसे Classification (वर्गीकरण ) करना आसान नहीं है फिर भी कुछ महत्वपूर्ण डाटा को उसके प्रकार के अनुसार निम्न भागो में बाटा गया है :

    1. संख्यात्मक डाटा (Numeric Data)
    2. अक्षर डाटा (Alphabetic Data)
    3. अक्षर संख्यात्मक डाटा (Alphanumeric Data)
    4. ध्वनी डाटा (Sound Data)
    5. रेखाचित्र डाटा (Graphics Data)
    6. चलचित्र डाटा (Video Data)
    इसे भी पढ़े : Input Devices क्या है ? और इसके कितने प्रकार होते है ?

    1. संख्यात्मक डाटा (Numeric Data)

    जैसे की इसके नाम से ही पता चल रहा है की यह एक अंको को रिप्रेजेंट करता है अर्थात यह गणितीय कार्यो (arithmetic Function) में आने वाले सभी 10 अंको 0 से 9 तक से बना डाटा होता है किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी की कुल स्टूडेंट की संख्या या परीक्षा में उनका प्राप्तांक संख्यात्मक डाटा (Numeric Data) होता है।

    2. अक्षर डाटा (Alphabetic Data)

    यह हमारे हिंदी वर्ण माला के 52 अक्षर (अ……..ज्ञ) और अंग्रेजी वर्णमाला के 26 अक्षर (A……..Z) से बना डाटा होता है किसी कॉलेज या आर्गेनाइजेशन कंपनी में स्टूडेंट और एम्प्लायर का नाम अक्षर डाटा (Alphabetic Data) होता है।

    3. अक्षर संख्यात्मक डाटा (Alphanumeric Data)

    alphanumeric जैसे नाम से ही पता चल रहा है कि यह दो डाटा टाइप्स से मिलकर बना हुआ है अल्फाबेटिक और नुमेरिक जिसमे अंक और करैक्टर तथा special symbol से मिलकर बना होता है ये सभी का combination होता है इसमें गणितीय कार्यो को तो नहीं किया जा सकता किन्तु इसकी तुलना किया जा सकता है किसी स्टूडें या एप्लोयेर का एड्रेस को अल्फानुमेरिक डाटा कहा जा सकता है।

    4. ध्वनी डाटा (Sound Data)

    सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली कई ऑडियो कंप्रेशन स्कीम ADPCM पर आधारित हैं। इसमें कंप्यूटर पर स्टोर किये गये सभी प्रकार की आवाजे और साउंड आते है जिटल ऑडियो डेटा केवल एक ध्वनि का एक द्विआधारी प्रतिनिधित्व है। यह डेटा एक बाइनरी फ़ाइल के लिए लिखा जा सकता है ऑडियो फ़ाइल प्रारूप का उपयोग करके स्थायी भंडारण के लिए उसी तरह से बिटमैप डेटा को छवि फ़ाइल प्रारूप में संरक्षित किया जाता है।

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    5. रेखाचित्र डाटा (Graphics Data)

    इमेज, रेखाचित्र ,graphics आदि डाटा इसके अंतर्गत आते हैं जैसे कंप्यूटर में स्टोर किये गए images

    6. चलचित्र डाटा (Video Data)

    इसके अन्तर्गत विडियो एडिटिंग के सभी कंटेंट डाटा शामिल है

    What is Program ( प्रोग्राम क्या है ?):

    Instructions के समूह को program कहा जाता है। Porgram में instruction को जिस क्रम में रखा जाता है उसे उसी क्रम में processor के द्वारा execute किया जाता है। Computer के सभी hardware device को program के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है Computer program में यह विशेषता होती है जिससे यह निर्धारित कर सकते हैं कि वह computer के किस device को किस प्रकार नियंत्रित कर सकता है।

    Computer में program लिखने के लिए किसी language की आवश्यकता होती है ,वर्तमान में प्रसिद्ध language C,C++,Java, .Net इत्यादि है। Program के coding को language editor में type कर लेने के पश्चात् उसे compile करके उसके syntax error की जॉच की जाती है और error को सही कर लेने पश्चात् उसे run करके देखा जाता है यदि output आपके जरूरत के अनुसार नहीं है तो coding में परिवर्तन करके compile एवं run करने की प्रक्रिया को दोहराया जाता है। उचित परिणाम प्राप्त होने की स्थिति में उसे permanent memory में सुरक्षित कर दिया जाता है जिससे उसकी जरूरत पड़ने पर कभी भी execute कर सकते हैं।

    किसी program के दो तत्व होते हैं instructions एवं data इसमें instruction वह होता है जिसमें यह निर्धारित किया जाता है किdata पर किस प्रतिक्रिया को करना है। इसे निर्धारित किया जता है। Data में जानकारियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में रखा जाता है और इव्ही data पर जोड़-तोड़ करने के लिए program लिखा जाता है।

    What is Programming Language (प्रोग्रामिंग भाषा क्या है ?)

    एक प्रोग्रामिंग भाषा एक औपचारिक भाषा है जिसमें निर्देशों का एक सेट होता है जो विभिन्न प्रकार के आउटपुट का उत्पादन करता है। एल्गोरिदम को लागू करने के लिए कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग किया जाता है। अधिकांश प्रोग्रामिंग भाषाओं में कंप्यूटर के लिए निर्देश होते हैं।

    जिस प्रकार मनुष्य को communicate करने के लिए एक स्थाई लैंग्वेज की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार कंप्यूटर को भी एक स्थाई लैंग्वेज की आवश्यकता होती है जिसे मशीन लैंग्वेज (बाइनरी भाषा ) कहा जाता है जिसे 0 और 1 से दर्शाया जाता है यह true और false के रूप में भी कार्य करता है।

    Types of Programming Language (Programming भाषा की प्रकार )

    Basically प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के निम्न 2 प्रकार होते है :


    1. High-Level Language
    2. Low-Level Language

    1. High Level Language :

    कंप्यूटर विज्ञान में, एक उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा कंप्यूटर के विवरण से मजबूत अमूर्तता के साथ एक प्रोग्रामिंग भाषा है। high level language को कंप्यूटर के कोडिंग को और भी सरल बनाने के लिए बनाया गया है यह प्रोग्राम इंग्लिश लैंग्वेज में लिखा जाता है जिसे कोडिंग करना काफी आसान हो जाता है इस हाई लेवल लैंग्वेज को low लेवल लैंग्वेज में बदलने के लिए कम्पाइलर और इंटरप्रेटर का उपयोग किया जाता है हाई लेवल लैंग्वेज का अदाहरण निम्न है :

    C
    C++
    Java
    PHP
    HTML
    python
    Visual Basic
    Ruby
    Delphi
    Perl
    Fortran
    Pascal
    Objective C
    JavaScript

    2. Low Level Language :

    लोव लेवल लैंग्वेज को मशीनी लैंग्वेज भी कहा जाता है यह 0 और 1 के according के अनुसार कार्य करता है जो True और fals के रूप में होता है इसे सिर्फ मशीन ही समझता है high level language की तुलना में इसकी गति काफी धीमी होती है कंप्यूटर में इस लैंग्वेज को रन करने के लिए असेम्बलर की आवश्यकता होती हो जो सीधे एक्सीक्यूट कराती है।

    लो लेवल लैंग्वेज की मेमोरी क्षमता काफी कम होती है इसकी पोर्टेबिलिटी और मशीनी निर्भरता गैर पोर्टेबल और मशीन पर निर्भर होता है अगर इसमें कही पर कोई एरर आता है तो इसको समझना काफी जटिल होता है साथ ही रखरखाव में मुस्किल जाता है।

    असेंबली भाषा मशीन भाषा की तुलना में एक उच्च-स्तरीय भाषा के करीब एक step Pass है । इसमें MOV (चाल), ADD (add), और SUB (घटाना) जैसे कमांड शामिल हैं। ये कमांड बेसिक ऑपरेशन करते हैं, जैसे कि मेमोरी रजिस्टरों में मूविंग वैल्यू और गणना करना। असेंबली का उपयोग करके असेंबली भाषा को मशीन भाषा में परिवर्तित किया जा सकता है।

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