ऑपरेटिंग सिस्टम आर्किटेक्चर क्या है ? | Operating System in hindi

What is an Operating System Architecture?

Operating System architecture के दो भाग होते हैं पहला भाग user interface के लिए होता है एवं दूसरा kernel के लिए। Kernel, operating system के मुख्य घटक के नाम से जाना जाता है। Kernel का कार्य system के संसाधनों के उपयोग को अन्य के लिए प्रतिबंधित करना होता है। Operating System Structure के भाग को निम्न चित्र में समझ सकते हैं: 

Operating System में निम्न कार्य किये जाते हैं:

  • Memory प्रबंधन (management) का कार्य करता है।
  • आंतरिक संचार प्रक्रिया का नियंत्रण 
  • विभिन्न hardware device के driver का उपयोग करके उसका प्रबंधन एवं उसके कार्य का नियंत्रण करता है। Process और thread का उपयोग करके process का प्रबंधन करता है।
  • File एवं directory के नाम को बदलना या उसे मिटाना या move, copy करना इत्यादि ।
  • Processor एवं अन्य hardware device के बीच संचार स्थापित करना । 

Kernel Architecture को निम्न तीन प्रकार में बॉट सकते हैं:

  1. Monolithic Kernels
  2. Layer architecture-based kernels
  3. Micro Kernels

1. Monolithic Kernels:

Operating system के प्रत्येक तत्व इसी kernel के अंदर आते हैं जो सीधे अन्य तत्वों से संचार का कार्य करते हैं। निम्न चित्र से monolithic kernels कार्य को समझें:

Operating system architecture
Monolithic Kernels in operating system

इसका एक लाभ यह था कि इस kernel के द्वारा design किये operating system काफी कुशल होते हैं परंतु इसमें गलतियों को विभाजित न कर पाने से अलग एवं बेकार कोड का कोई बड़ा नुकसान नहीं था। 

2. Layer Architecture-based Kernels:

सामान्यतः Windows एवं Linux operating system के कुछ भाग को इसी प्रकार design किया जाता है। Kernel को layering में design करने का मुख्य advantage यह है कि इसमें एक layer दूसरे के कार्य को प्रभावित नहीं करता एवं layer के आधार पर कार्य के तकनीक को बदला जा सकता है।

वर्तमान में operating system का design बड़ा एवं जटिल हो गया है। इसलिए इस जटिलता को कम करने में layer का महत्वपूर्ण योगदान होता है। 

इस प्रकार के design में प्रत्येक layer एक दूसरे से communicate करता तो है परंतु अपने कार्य को दूसरे से छुपाता भी है। इसलिए इसमें अधिक security प्राप्त होती है इसमें layer एक दूसरे से अलग होते हैं इसलिए इसमें modification आसान हो जाता है। इस layering kernel के कार्य को हम नीचे दिये चित्र में समझ सकते हैं: 

Layer Architecture-based Kernels
Layer Architecture-based Kernels

Layered kernel का design इस प्रकार होती है कि यह नीचले layer के कार्यों को छुपाता है और ऊपरी layer के द्वारा एक अनुकूल interface उपलब्ध करता है जिससे इसमें चलने वाले software को बनाना आसान हो जाता है। 

3. Micro Kernels:

इस kernel को विशेष रूप से छोटे आकार के device जिनकी memory क्षमता काफी कम होती है उनके लिए design किया जाता है। अधिकांश operating system components इसी kernel के लिए design किया जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप device driver, protocol stack ud file system design करने में किया जाता है। इसके कार्य को निम्न चित्र में समझ सकते हैं

इसमें low-level space management, thread management एवं inter-state communication कुछ ही सुविधाओं के लिए इसे design किया जाता है अर्थात् इसमें बहुत ही छोटे स्तर के सर्विस सम्मिलित होते हैं।

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