Analysis Model computer अधारित system के लिए आवश्यक जानकारी, function एवं behavior domain का विवरण उपलब्ध कराता है।
सीधे शब्दों में कहें, एक Analysis Model एक विशिष्ट Process को पूरा करने के लिए एक व्यवसाय द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की रूपरेखा तैयार करता है, जैसे कि किसी product को order करना या एक नया किराया लेना। process modeling (या Maping) प्रक्रिया दक्षता, प्रशिक्षण और यहां तक कि उद्योग के नियमों का पालन करने में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण है।
The four element of analysis model?
Analysis model के निम्न 4 तत्व होते हैं:
Analysis Model Diagam |
- Scenario Based Elements
- Class-Based Elements
- Behavioral Based Elements
- Flow-Based Elements
1) What is Scenario-based modeling?
Stakeholder के द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए scenario में system और actors के बीच के interaction को परिभाषित किया जाता है। सामान्यतः scenario के द्वारा process flow model को activity diagram के रूप में represent किया जाता है। Scenario based modeling का उपयोग निम्न आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए किया जाता है:
i) अंतिम उपयोगकर्ता को system की ओर आकर्षित करने के लिए उनके software उपयोग के तरिको को capture किया जाता है।
ii) UML requirement modeling के द्वारा एक scenario निर्माण किया जाता है जिन्हें बनाने में diagram, activity swim lane diagram की मदद लिया जाता है।
Scenario based modeling के विषय में Ivar Jacobson लिखते हैं कि जो system के बाहर विद्यमान है क्या उसे system में उपयोग में लाना चाहिए। इसके लिए निम्न प्रश्नों के उत्तर होना चाहिए:
- हमे किसके विषय में लिखना है ?
- हमें कितना लिखना है ?
- हमें विवरण को विस्तार से लिखना है या नहीं ?
- विवरण को किस प्रकार व्यवस्थित करना है ?
2) What is Flow oriented Modeling ?
वर्तमान में इस modeling का उपयोग कम किया जाता है अर्थात् इसे outdated model तकनीक मान सकते हैं। इसका सामान्यतः उपयोग requirement analysis model में किया जाता है। Data flow diagram इस flow oriented model का ही एक भाग होता है।
Data flow diagram INPUT→ PROCESS→ OUTPUT के सिद्धांत पर कार्य करता है। DFD को diagram के पूरक के रूप में उपयोग किया जा सकता है और system के requirement के विषय में अतिरिक्त जानकारी प्रदान की जा सकती है।
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Data Flow Diagram:
इसे बबल चार्ट के नाम से भी जाना जाता है। लैरी कान्स्टैन्टाइन ने सिस्टम requirements को graphical रूप से दर्शाने के लिए सर्वप्रथम DFD को विकसित किया था। इसका मुख्य उद्देश्य system requirement को स्पष्ट करना और उन मुख्य transformation को पहचानना है, जोकि system design में program किए जाते हैं। यह एक graphical tools होता है, जो bubbles lines के द्वारा series में जुड़े रहते हैं।
मूलभूत DFD प्रारूप को निम्न चित्र में दर्शाया गया है:
Data flow diagram (DFD) के निर्माण के लिए निम्नलिखि सात नियमों का पालन किया जाता है:
- सरल रेखायें एक दूसरे को नहीं काटना चाहिए।
- वर्गों, वृत्तों और files को नाम दिए होने चाहिए।
- Decompose हुए data प्रवाह में संतुलन होना चाहिए।
- दो data प्रवाह, वर्ग या वृत्त का एक ही नाम नहीं हो चाहिए।
- सभी data प्रवाहों, प्रक्रियाओं और data storage को उचि नाम दिए जाने चाहिए। सामान्यतः क्रियाओं को उनकी आवश्यकता अनुसार नाम दिए जाने चाहिए।
- सभी data प्रवाहों का diagram के बाहरी चारों ओर बनने चाहिए।
- Control storage जैसे कि record संख्या, password,और वैधता की आवश्यकता इत्यादि को DFD के अन्तर्गत बताना चाहिए।
Data flow diagram में संबंधो को system में निम्न प्रकार परिभाषित करना चाहिए:
- System का नाम निर्धारित करना ।
- System के सीमा निर्धारित करना ।
- यह परिभाषित करना कि वर्तमान सिस्टम को किस प्रकार समाप्त करना है।
- यह निर्धारित करना कि system को समाप्त करने के लिए उससे क्या लेना है या क्या प्राप्त करना है।
- आकर्षक डायग्राम तैयार करना।
Restriction in DFD:
i) Data Flow के entity बिना कारण के किसी अन्य entity जुड़ा नहीं होना चाहिए।
ii) Data Flow को बाहरी entity से बिना प्रक्रिया के नहीं जोड़ना चाहिए।
iii) Data flow को एक प्रक्रिया के माध्यम से बाहरी प्रक्रिया से सुरक्षित रखा जा सकता है।
iv) Data flow के प्रक्रिया को सीधे अन्य में प्रक्रिया के साथ जोड़ना चाहिए इसके data की सुरक्षा बढ़ती है।
Process description:
इसमें डाटा एक Sequence में होता है इस डाटा का उपयोग सिस्टम से processing करते समय करते हैं।
How to Creating Data Flow Model ?
DFD तैयार करके software engineering एक समय में informational domain और functional domain दोनों तैयार कर सकता है। DFD तैयार करके system के प्रत्येक level को सुव्यस्थित रूप से परिभाषित कर सकते हैं। निम्न एक सामान्य system के कार्य को निम्न प्रकार DFD के माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं:
यहाँ data flow input से process और output में flow हो रहा है यह data flow model का सामान्य सिद्धांत है।
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3) What is Class-based modeling?
Class base modeling के द्वारा analysis class की पहचान करना, attributes परिभाषित करना, operation परिभाषित करना, class-responsibility-collaboration model, associations and dependencies इत्यादि कार्य कर सकते हैं। Class base model को object के format में परिभाषित किया जाता है।
Class based modeling के द्वारा object oriented analysis model develop किया जाता है। इसी प्रकार Class-Responsibility-Collaborator (CRC) का उपयोग Object Relationship model का अधार तैयार करने में किया जाता है। Class based modeling में निम्न तत्व सम्मिलित होते हैं:
- Object
- Operations
- Relationship
- Collaboration
Identifying analyzing classes:
किसी class को identify निम्न प्रकार से किया जा सकता
- किसी statement की समस्या को समझकर।
- संभावित classess को अलग करके।
- प्रत्येक class के attributes को पहचानकर।
- Attributes में हेरफेर करने वाले operation को पहचानकर ।
Analysing classes निम्न तरीके से खुद को व्यक्त करते हैं:
i) Thins
इसमें ऐसी चीजे जो समस्या के लिए information domain का भाग है जैसेः पत्र, रिपोर्ट, signal इत्यादि ।
ii) Event or Occurrences:
जब system के संचालन के समय जो समस्या आती है जैसे किसी robot के संचालन के पूरा होने या property transfer इत्यादि ।
iii) Organization unit:
ऐसा समूह जो कार्य के लिए अनुरूप होते हैं जैसे division, team group
iv) Places:
इसमें ऐसे स्थान होते हैं जो समस्या के संदर्भ में या system के समग्र कार्य को स्थापित करते हैं जैसे manufacturing floor, loading dock इत्यादि।
v) External entities:
इसमें ऐसी बाहरी संस्थाए आती है जो computer अधारित system द्वारा उपयोग की जाने वाली जानकारियाँ तैयार या उसका उपभोग करते हैं।
vi) Structure:
इसमें ऐसी class या object परिभाषित होते हैं class object संबंधित होते हैं जैसे computer, vehicles इत्यादि ।
vii) Roles:
जब ऐसे व्यक्ति जो system की ओर लोगो को आकर्षित करते हैं उनके द्वारा निभाई गई भूमिका जैसे manager, engineer इत्यादि ।
Class Selection Criteria (class चयन के मापदंड):
यह विचार करे की प्रत्येक class में निम्न में से कम से कम कोई एक को संतुष्ट करता हो तब वह select होगाः
- आवश्यक सेवाएं प्रदान करना ।
- एक से अधिक attributes का होना।
- Attributes के सामान्य sets का सभी classes instances में लागू होना।
- Operation के सामान्य sets का सभी object instances में लागू होना।
- जानकारियों का उत्पादन या खपत करने वाले बाहरी इकाई का प्रतिनिधित्व करना।
Attributes का निर्धारणः
Attributes, data object का एक समूह होता है जिसे problem space के class के अन्तर्गत परिभाषित किया जाता है। Analysis class के लिए attributes उचित है या नहीं इसका software engineer काफी गहराई से अध्ययन करता है। अध्ययन में वह class से संबंधित use-case और 'thing' जो 'reasonably' को शामिल कर सकता है। Class, attributes, operation को निम्न diagram के माध्यम से समझ सकते हैं:
Class के attributes का निर्धारण करते समय class से संबंधित सभी चिजो अर्थात् data items को सामिल किया जाता है। Class के operations का निर्धारण करते ऐसे तत्वो को सामिल किया जाता है जिनकी सहायता से data लिया जा सके, उसे मिटाया जा सके, उसमें परिवर्तन किया जा सके इत्यादि ।
Operation के द्वारा डाटा में विभिन्न कार्य जैसे adding deleting, modifying इत्यादि कार्य किये जा सकते हैं। इसके द्वारा computation के कार्य भी किये जाते हैं। Operation के द्वारा object के नियंत्रण पर निगरानी कर सकते हैं। साथ ही उस स्थिति के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
Class-Responsibility-Collaboration Modeling:
इसे CRC modeling भी कहते हैं। इसके द्वारा index card class system का एक समूह तैयार किया जाता है जो प्रतिनिधित्व करते हैं। सामान्यतः एक card के लिए एक class होता है। इन cards को तीन खंड class name, class responsibility एवं class collaboration में बॉटते हैं। एक बार जब card बन जाता है तो उसका उपयोग scenario की जॉच करने में करते हैं।
Note: सामान्य शब्द का अर्थ जो उपयोग में लाये गये है:
- Use-case, एक scenario होता है जो system के लिए "threa of uses" होता है।
- Actor, ऐसी भूमिकाओ का प्रतिनिधित्व करते हैं जो system कार्यों में योगदान देते हैं या उससे खेलते हैं।
- User, किसी दिये गये scenario के लिए अलग-अलग भूमिक निभा सकते हैं।
- Stakeholder, End user, manager, maintenand engineer, domain विशेषज्ञों एवं trade union के कर्मचारियों को कहा जाता है।
4) What is Behavior Based Model ?
इस model का उपयोग सम्पूर्ण system के व्यवहार परिभाषित करने में करते हैं। Behavioral model के दो प्रकार हैं-
- Data processing model
- State machine model
i) Data processing model:
Data processing model यह बताने के लिए होता है data जब system पर चलता है तो वह कैसे processed होता हैं
इससे इस model के द्वारा data के processing के flow को देख सकते हैं। यह अनेक विश्लेषण विधि का आंतरिक भाग होता है। processing को सरल एवं सहज तरीके से समझा जा सकता है। यह data के end-to-end processing को बताता है।
ii) State machine model:
State machine model का उपयोग घटनाओ पर system किस प्रकार व्यवहार करेगा यह दर्शाने के लिए होता है।System के व्यवहार को बनाये रखने के लिए इन दोनो model का होना अत्यंत आवश्यक होता है।
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