Data Communication क्या है ? और इसके कितने प्रकार होते हैं ?

जब आप जानकारियों को एक स्थान से दुसरे स्थान पर भेजना चाहते है अर्थात उसे अन्य के साथ साझा करना चाहते हैं, जो आपसे कई किलो मीटर दूर है तो इसके लिये आपको नेटवर्क की आवश्यता होगी | और इसी नेटवर्क के माध्यम से हम दो कम्युनिकेशन डिवाइस को जोड़कर उनके बीच कम्युनिकेशन कर सकते हैं |

what is data communication
Data Communication in Hindi

हेल्लो दोस्तों अब आते है डाटा कम्युनिकेशन (संचार ) क्या होता है ?(what is data communication ?) और इसके कितने प्रकार होते हैं (how many types of data communication ) साथ में इसके हिस्ट्री के बारे में भी पढेंगे । बहुत लोगो को पता है की Data Communication क्या होता है । हमने इस टॉपिक में data Communication (संचार ) को बहुत ही गहराई से समझाए है ।

तो चलिए टॉपिक को स्टार्ट करते है Data Communication | स्टार्ट करने से पहले हमने पिछले टॉपिक में पढ़े थे कि Input Devices क्या है ? और इसके कितने प्रकार होते है ? ,अगर आपने इस टॉपिक को नहीं पढ़ा है तो प्लीज इस टॉपिक का अध्धयन कर लीजिये ।

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डाटा कम्युनिकेशन (संचार ) का अर्थ (Introduction of Data Communication ) –

Deta एवं Information को किसी अन्य स्थान पर भेजने को Data Communication कहते हैं | नेटवर्क की भाषा में कहे तो जब दो या अधिक कंप्यूटर या कंप्यूटर नेटवर्क या अन्य कंप्यूटिंग डिवाइस के बीच डिजिटल डाटा को ट्रांसमिट करते हैं तो इसे डाटा कम्युनिकेशन कहते हैं | दो डिवाइस के बीच कम्युनिकेशन स्थापित करने के लिए फिजिकल कनेक्शन या वायरलेस कनेक्शन का प्रयोग कर सकते हैं | इसका सबसे अच्छा उदहारण है इन्टरनेट | जिसके मदद से हम कहीं दूर बैठे व्यक्ति से कम्युनिकेशन कर सकते हैं या किसी भी प्रकार के संग्रहित डाटा को प्राप्त कर सकते हैं |

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डाटा कम्युनिकेशन को हम निम्न block Diagram से समझ सकते है :
Data Communication System in Hind

डाटा कम्युनिकेशन के प्रकार (Types of Data Communication) –

विभिन्न उपकरणों के बीच डेटा संचार को मोटे तौर पर 3 प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है –
  1. सिम्पलेक्स (Simplex Communication)
  2. अर्ध-द्वैध संचार (Half-Duplex Communication)
  3. पूर्ण-द्वैध संचार (Full-duplex communication)

यह दो उपकरणों के बीच एकतरफा या यूनिडायरेक्शनल (unidirectional) संचार है जिसमें एक डिवाइस प्रेषक (Sender) होता है और दूसरा रिसीवर (Receiver) होता है।

1. सिम्पलेक्स सिस्टम क्या है ? (What is Simplex ?)

Simplex Communication System एक संचार चैनल है जो सुचना को केवल एक ही दिशा में send करती है, यह एक unidirectional होता है । इसमें केवल एक device डाटा कम्यूनिकेट कर सकता है और एक प्राप्त कर सकता है जैसे कीबोर्ड और CPU जिसमे कीबोर्ड से केवल डाटा send कर cpu receive कर सकता है।

2. अर्ध-द्वैध संचार क्या है? ( Half-Duplex Communication system) –

संचार का एक तरीका जिसमें डेटा प्रसारित या प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन एक साथ प्रसारित और प्राप्त नहीं किया जा सकता है। सबसे सरल उदाहरण वॉकी-टॉकी है: आपको बात करने के लिए एक बटन दबाना होगा और सुनने के लिए बटन को छोड़ना होगा। जब दो लोग संवाद करने के लिए वॉकी-टॉकी का उपयोग करते हैं, तो किसी भी समय, उनमें से केवल एक ही बात कर सकता है जबकि दूसरा सुनता है। यदि दोनों एक साथ बात करने की कोशिश करते हैं, तो टक्कर होती है और न ही दूसरे क्या कहते हैं यह सुनता है।

इसे भी पढ़े What is Data And Programs | How Many types Of Data – In Hindi

पूर्ण-द्वैध संचार क्या है ?( what is Full-duplex communication?) –

पूर्ण द्वैध संचार का एक सामान्य उदाहरण एक टेलीफोन कॉल है जहां दोनों पक्ष एक ही समय में संवाद कर सकते हैं। हाफ डुप्लेक्स, तुलनात्मक रूप से, एक वॉकी-टॉकी वार्तालाप होगा जहां दोनों पक्ष बारी-बारी से बात करते हैं।

Diagram of simplex, half-duplex, full-duplex Communication System –

Data Flow In data Communication Hindi
types of data communication

History of Data Communication :

डाटा कम्युनिकेशन की शुरुआत सन-1947 में हुआ ,जब बेल लैब के द्वारा ट्रांजिस्टर का अविष्कार किया | इससे यह तो सिद्ध हो गया कि अनेक इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट को एकीकृत किया जा सकता है |इसके बाद अमेरिका सरकार ने इसी प्रोजेक्ट पर कार्य करते हुए इसमें तकनीकी विकास करके 1958 में कम्युनिकेशन से सम्बंधित एक satellite launch किया |

इस setellite के launch होने के चार साल बाद वर्ष 1962 में Fax transmisson किया गया | यहीं से डाटा कम्युनिकेशन के क्षेत्र में तेजी से कार्य आरंभ हो गया इसमें अनेक शोध होते रहे , आगे कुछ वर्षो में आवाज को एक स्थान से दुसरे स्थान पर भेजने के लिए telephone line का विकास हुआ |वर्ष 1969 में जब इन्टरनेट प्रोटोकॉल का विकास हुआ तो यह डाटा कम्युनिकेशन के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ |

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वर्ष 1990 तक चूँकि कंप्यूटर का दौर आरम्भ हो गया था | कंप्यूटर घरो में उपयोग लाया जाने लगा था |तो इसी समय उन्हें आपस में जोड़ कर communicate करने का विचार किया गया | कंप्यूटर को जोड़कर डाटा कम्युनिकेशन करने को इन्टरनेट नाम दिया गया | जिसमे आसानी से हजारों कंप्यूटर एक साथ कम्युनिकेट करके डाटा ट्रांसमिट कर सकते हैं |

characteristics of data communication :

यह आवश्यक है कि डाटा कम्युनिकेशन सिस्टम निम्न चार बुनियादी विशेषताओं पर निर्भर करते हैं :

1. Correct Destination :

यह आवश्यक है कि डाटा कम्युनिकेशन के समय पैकेट को सही गंतव्य पर भेजा जाए | डाटा निर्धारित डिवाइस एवं उपयोगकर्ता के पास ही पहुँचाना चाहिए |

2. Accuracy :

डाटा जो ट्रांसमिट किया जा रहा है यह सही होना चाहिये | यदि कोई डाटा अनुपयोगी है तो उसे छोड़ देना चाहिये जिससे वह अपने गंतव्य तक शुद्ध रूप में पहुचे |

3. Timelines :

यह आवश्यक है कि डाटा एक निश्चित समय में अपने गंतव्य तक पहुँच जाये | इसे रियल टाइम ट्रांसमिशन कहा जाता है | यदि डाटा में टेक्स्ट के अतिरिक्त वीडियो और ऑडियो के रूप में है तो वह भी सही समय पर डिलीवर होना आवश्यक है |

4. Jitter :

यह पैकेट के आने एवं जाने में समय के परिवर्तन को दर्शाता है | सामान्यतः पैकेट के आवागमन में असमान देरी ऑडियो या वीडियो में होता है | यदि पैकेट के पहुँचने में देरी होती है तो उसकी गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है |

Characteristics of data communication
Characteristics of data communication

इसे भी पढ़े – Register Memory क्या है ? | इसके कितने प्रकार होते है ?

Components of data communication system:

डाटा कम्युनिकेशन सिस्टम में निम्न पांच कंपोनेंट का प्रयोग किये जाते हैं :
1. Message:

massage में संचार के लिये जानकारियाँ होती है |ये जानकारियाँ टेक्स्ट ,नंबर, पिक्चर ,वीडियो ,ऑडियो इत्यादि के रूप में हो सकती है |

2.Transmission medium:

ट्रांसमिशन मीडियम एक फिजिकल पथ के रूप में होती है | ट्रांसमिशन मीडियम के लिए ट्विस्टेड पेअर केबल ,फिबर ऑप्टिकल केबल ,coaxial केबल ,एवं रेडियो वेव का प्रयोग किया जा सकता है इसका कार्य डाटा को भेजना एवं प्राप्त करना होता है |

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3. Protocol :

बिना प्रोटोकाल के दो डिवाइस जुड़ तो सकते है पर उनके बीच कम्युनिकेशन नहीं हो सकता | प्रोटोकॉल में निर्धारित नियमो का समूह होता है | इसमें दो डिवाइसों के कम्युनिकेशन के लिये समझौता होता है |

4 Sender:

सेंडर उस डिवाइस को कहते है जो मेसेज (डाटा ) भेजने का कार्य करता है | सेंडर के रूप में कंप्यूटर, वीडियो, कैमरा, वर्कस्टेशन, टेलिफोन हैंडसेट इत्यादि हो सकते है |

5. Receiver:

रिसीवर उस डिवाइस को कहते हैं जिसमें हम जानकारियों को प्राप्त करते हैं | सेंडर की तरह ही रिसीवर कंप्यूटर , वीडियो, कैमरा, वर्कस्टेशन, टेलिफोन हैंडसेट इत्यादि हो सकते है |

अंतिम शब्द :

हेल्लो स्टूडेंट्स … आज हमने पढ़ा डाटा कम्युनिकेशन क्या है ? और इसके कितने प्रकार होते हैं ? फ्रेंड्स आशा करता हूँ की आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा और आप इस आर्टिकल को अपने फ्रेंड्स से शेयर करेंगे ।

“अगर इस आर्टिकल से रिलेटेड कोई भी प्रश्न है तो प्लीज हमसे कमेंट बॉक्स में पूछियेगा । अब मिलते है next आर्टिकल में तब तक के लिए अलविदा ।”

जय हिन्द |जय भारत |जय छत्तीसगढ़ |

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